


गर्मियों का मौसम आते ही स्किन टैनिंग, सनबर्न और झुलसने जैसी परेशानियां बढ़ने लगती हैं। ऐसे में, सनस्क्रीन लगाना जरूरी हो जाता है, लेकिन कई लोगों को बार-बार इसे लगाने की झंझट पसंद नहीं होती। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं, तो एक नया ट्रेंड आपकी इस दिक्कत को हल कर सकता है- 'ड्रिंकएबल सनस्क्रीन' यानी पीने वाली सनस्क्रीन।
क्या है ड्रिंकएबल सनस्क्रीन?
ड्रिंकएबल सनस्क्रीन असल में एक तरह का लिक्विड सप्लीमेंट है, जिसे पीने के बाद यह दावा किया जाता है कि यह आपकी स्किन को UV किरणों से बचाने का काम करता है। इसमें कुछ खास तरह के एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन्स और प्राकृतिक तत्व होते हैं, जो स्किन के अंदरूनी स्तर पर असर डालकर धूप से सुरक्षा देने का काम करते हैं।
ड्रिंकएबल सनस्क्रीन के फायदे
ड्रिंकएबल सनस्क्रीन के कई फायदे हो सकते हैं:
1. UV डैमेज से अंदरूनी सुरक्षा: इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन C, E जैसे तत्व स्किन को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं।
2. सुपर ईजी टू यूज: इसे बस पीना होता है, जिससे बार-बार सनस्क्रीन लगाने की झंझट खत्म हो जाती है।
3. स्किन को हेल्दी बनाता है: यह सिर्फ धूप से बचाने का दावा नहीं करता, बल्कि स्किन को अंदर से हेल्दी और ग्लोइंग बनाने में मदद कर सकता है।
4. वॉटरप्रूफ प्रोटेक्शन: नॉर्मल सनस्क्रीन पसीने या पानी में धुल सकती है, लेकिन इसे पीने के बाद कोई बाहरी परत नहीं बनती, इसलिए यह पसीने या तैराकी से खराब नहीं होती।
5. लॉन्ग-लास्टिंग इफेक्ट: कहा जाता है कि एक बार पीने के बाद इसका असर घंटों तक बना रहता है, जबकि क्रीम वाली सनस्क्रीन को बार-बार दोबारा लगाना पड़ता है।
ड्रिंकएबल सनस्क्रीन के नुकसान
हालांकि, ड्रिंकएबल सनस्क्रीन के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं:
1. 100% प्रभावी नहीं: विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रिंकएबल सनस्क्रीन अकेले UV किरणों से सुरक्षा देने के लिए पर्याप्त नहीं है।
2. सीमित सुरक्षा: यह शरीर के अंदरूनी सिस्टम को मजबूत कर सकता है, लेकिन यह सीधे सूरज की हानिकारक किरणों को ब्लॉक नहीं करता।
3. साइंटिफिक प्रूफ की कमी:अब तक इस बात का कोई पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि ड्रिंकएबल सनस्क्रीन अकेले UV प्रोटेक्शन देने में उतना ही असरदार होता है, जितना नॉर्मल सनस्क्रीन।
4. महंगा ऑप्शन: यह आम सनस्क्रीन की तुलना में काफी महंगा हो सकता है। इसे रोजाना इस्तेमाल करना हर किसी के बजट में नहीं आ सकता।
5. इम्यून सिस्टम पर असर: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत ज्यादा एंटीऑक्सिडेंट्स या सप्लीमेंट लेने से शरीर का नैचुरल इम्यून सिस्टम गड़बड़ा सकता है।